कैंसर एक जान लेवा बीमारी है जिसका पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता पर कैंसर के शुरुवाती समय में अगर इसका इलाज किया जाता है तो इस पर काबू किया जा सकता है।
types of cancer हम इस पोस्ट के जरिये आपको 10 अलग-अलग कैंसर के बारे में बतायेंगे और कुछ जानकारियाँ व उनके इलाज के बारे में भी बतायेंगे।
पहले कैंसर के बारे में कुछ बाते जान लेते है। -
कैंसर क्या होता है ? - हमारे शरीर में बहुत से कोशिकाएं होती है जिसे हम सेल्स भी कहते है जो की हर सेल्स अपने नियमित रूप से बढ़ते रहते है जिन सेल्स का काम नहीं होता शरीर में वह सेल्स मरते है और उनकी जगह नई सेल्स का निर्माण होता है और हमेशा ही बढ़ते रहते है। - अगर ये ही सेल्स अनियमित रूप से बहुत ज़्यादा बढ़ने लगे तो ये एक गाँठ बन जाती है ,और वह अल्सर बन जाता है या फोड़े का रूप ले लेती है जिसकी वजह से बहुत दर्द भी होता है.जिसे हम कैंसर कहते है।
1 . ब्लड कैंसर (blood cancer) - ब्लड कैंसर एक बहुत ही खतरनाक और जान लेवा बीमारी है ये किसी भी उम्र के लोगो को हो सकती है लेकिन 30 से 35 साल के उम्र के लोगो में होने का खतरा ज़्यादा होता है, ब्लड कैंसर आम तौर पर जेनिटिक के कारण ,स्मोकिंग ,बढ़ती उम्र,एड्स,या किमोथेरेपी की वजह से भी हो सकती है। आपको बता दे की ब्लड कैंसर भी अलग अलग प्रकार के होते है।
1 - एक्यूट ल्य्म्फोब्लास्टिक लुकेनिअ (acute lymphoblastic leukemia) ये कैंसर शरीर पर बहुत जल्दी फैलता है ,ये कैंसर ल्य्म्फोब्लास्टिक सेल्स को मारता जाता है और नये सेल्स पर बुरा असर डालता है। इससे शरीर में इम्युनिटी शक्ति कमज़ोर हो जाती है और ज़रा सी इन्फ़ेक्सन को शरीर रोक नहीं पाता।
2 - एक्यूट मयेलोगेनोस लेकिमिया (acute myelogenous leukemia) यह कैंसर भी शरीर पर बहुत बुरा असर डालता है ये मयेलोगेनोस सेल्स पर हमला करता है, जिससे शरीर बहुत कमज़ोर हो जाता है जैसे - बहुत ज़्यादा थकान महशुस करना , चक्कर आना, बार बार वाइरल इन्फ़ेक्सन होना शरीर के कई हिस्सों में दर्द होना आदि।
3 - क्रोनिक लिम्फोसाईटिक लेकिमिया (chronic lymphocytic leukemia) वैसे तो ये कैंसर शरीर में बहुत धीरे फैलता है पर लम्बे समय तक शरीर पर रहने की वजह से यह शरीर इम्युनिटी शक्ति को कमज़ोर कर देता है जिससे इंसान कोई भी दूसरी बीमारी को सेह नहीं पाता। इस बीमारी में अगर इंसान को कोई चोट या छोटी सी खरोच भी लग जाये तो खून बहुत ज़्यादा निकलता है , शरीर में दर्द होने लगता है,तेज़ी से वजन घटने लगता है और कई केस में तो सास लेने में परेशानी भी होने लगती है।
अगर आपको इसके कोई भी सिम्टम्स लगते है तो आपको इसकी जाँच जल्दी करवाना चाहिए।
क्या खाये - अपने शरीर में शक्ति व मज़बूत बनाने के लिए आपको विटामिन और मिनरल्स वाले फल और सब्जिया खाना चाहिए।
2 . गले का कैंसर (throat cancer) - गले का कैंसर को आप कई तरीको से समझ सकते है,अगर आपको गले में दर्द हो रहा हो और कुछ भी निगलने में बहुत परेशानी हो रही हो और ये कई दिनों से ऐसा ही हो रहा हो तो आपको इसकी जाँच करवाना चाहिए।
गले में कैंसर क्यूँ होता है?
जो लोग बहुत ज़्यादा स्मोकिंग करते है या तम्बाखु और गुटखा खाते है इन लोगो को गले का कैंसर होने का बहुत ज़्यादा खतरा होता है इसके अलावा कुछ केस में ज़्यादा ड्रिंक पिने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है अब ये कोई ड्रिंक हो सकता है नॉर्मल ,या कई बार पेशेंट के गले मे जो खाना अन्दर जाने वाली नाली होती है उसमे छिलाओँ (छील जाता है) हो जाता है। और यह नाली सुख कर सुकड़ने लगती है ऐसे में पानी निगलने में भी परेशानी होती है। इसमें पेशेंट की आवाज में भारी पन भी आ सकती है और बार बार खासी भी आ सकती है। इसके अलावा गले में कई बार छोटा सा दाना भी निकल जाता है जो बहार की तरफ भी हो सकता है जो समय के साथ साथ बड़ा हो कर ट्यूमर भी बन जाता है।
3 . स्तन का कैंसर (breast cancer) - आम तौर पर जब किसी भी महिला को अपने स्तन में दर्द या गांठ महसूस होता है तो वह बहुत डर जाते है वो सोचते है की कही ये गांठ कैंसर का तो नहीं है। पर ऐसा नहीं होता है क्युकी 80 % गांठ में कैंसर नहीं होता ,
आइये हम इसे समझते है की कैंसर का गांठ कब होता है और कैसे होता है और कौन से गांठ में कैंसर नहीं होता - सबसे कम उम्र में होने वाली स्तन गांठ होती है फाइब्रो एनिमिना ये कम उम्र वाली लड़कियों को होती है 20 से 25 साल तक जो की बहुत ही कॉमन गांठ होता है ,ये आपके किसी भी स्तन में हो सकती है एक में या दोनों में। ये गांठ ऐसा होता है जब इसकी सर्जरी की जाती है तो फिर से ये गांठ बन जाती है। इस गांठ को हाथो से छू कर आसानी से पता किया जा सकता है पर आम तौर इसमें किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है। पर जब गांठ बहुत बड़ी हो तो स्तन में दर्द हो सकता है।
इसका डेगनोसिस सोनोग्राफी से किया जाता है, और FNAC मतलब निडिल से सेम्पल ले कर भी इसकी जाँच की जाती है। अगर दर्द न हो या गांठ बहुत छोटा हो तो इसे निकलने की जरुरत नहीं होती है पर किसी केस में गांठ बहुत बड़ी हो या और भी साल दर साल बढ़ती ही जा रही है तो - एक छोटा सा ऑपरेशन किया जाता है जिसमे ये गांठ पूरी तरह से निकल दी जाती है। और इस में कोई कैंसर का खतरा नहीं होता है।
कुछ गांठ छोटे छोटे होते है ये आम तोर पर 35 से 50 उम्र की महिलाओ को होती है। ये गांठ थोड़ी नरम soft होती है कभी कभी तो ये बिना चेकअप के पता भी नहीं किया जा सकता।
एक और इसी प्रकार की गांठ होती है पर इस गांठ में पस या मवाद होता है ये गांठ ज़्यादा तर उन महिलाओं को होता जो ब्रैस्ट फीडिंग करती है - ब्रैस्ट फीडिंग करने से कभी कभी ब्रैस्ट में इन्फ़ेक्सन हो जाता है और इसमें पस बन जाता है और इसी पस से गांठ बन जाती है। अगर किसी महिला को ब्रैस्ट में किसी प्रकार की चोट लगती है तो भी इन्फ़ेक्सन हो सकता है। - इसका चेकअप भी डेगनोसिस सोनोग्राफी से किया जाता है और इसका इलाज - भी छोटे से ऑपरेशन से किया जाता है एक इंजेक्शन की सहायता से इस पस को निकला जाता है। इस तरीके से गांठ भी ठीक हो जाती है।
आइये हम इसे समझते है की कैंसर का गांठ कब होता है और कैसे होता है और कौन से गांठ में कैंसर नहीं होता - सबसे कम उम्र में होने वाली स्तन गांठ होती है फाइब्रो एनिमिना ये कम उम्र वाली लड़कियों को होती है 20 से 25 साल तक जो की बहुत ही कॉमन गांठ होता है ,ये आपके किसी भी स्तन में हो सकती है एक में या दोनों में। ये गांठ ऐसा होता है जब इसकी सर्जरी की जाती है तो फिर से ये गांठ बन जाती है। इस गांठ को हाथो से छू कर आसानी से पता किया जा सकता है पर आम तौर इसमें किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है। पर जब गांठ बहुत बड़ी हो तो स्तन में दर्द हो सकता है।
इसका डेगनोसिस सोनोग्राफी से किया जाता है, और FNAC मतलब निडिल से सेम्पल ले कर भी इसकी जाँच की जाती है। अगर दर्द न हो या गांठ बहुत छोटा हो तो इसे निकलने की जरुरत नहीं होती है पर किसी केस में गांठ बहुत बड़ी हो या और भी साल दर साल बढ़ती ही जा रही है तो - एक छोटा सा ऑपरेशन किया जाता है जिसमे ये गांठ पूरी तरह से निकल दी जाती है। और इस में कोई कैंसर का खतरा नहीं होता है।
कुछ गांठ छोटे छोटे होते है ये आम तोर पर 35 से 50 उम्र की महिलाओ को होती है। ये गांठ थोड़ी नरम soft होती है कभी कभी तो ये बिना चेकअप के पता भी नहीं किया जा सकता।
एक और इसी प्रकार की गांठ होती है पर इस गांठ में पस या मवाद होता है ये गांठ ज़्यादा तर उन महिलाओं को होता जो ब्रैस्ट फीडिंग करती है - ब्रैस्ट फीडिंग करने से कभी कभी ब्रैस्ट में इन्फ़ेक्सन हो जाता है और इसमें पस बन जाता है और इसी पस से गांठ बन जाती है। अगर किसी महिला को ब्रैस्ट में किसी प्रकार की चोट लगती है तो भी इन्फ़ेक्सन हो सकता है। - इसका चेकअप भी डेगनोसिस सोनोग्राफी से किया जाता है और इसका इलाज - भी छोटे से ऑपरेशन से किया जाता है एक इंजेक्शन की सहायता से इस पस को निकला जाता है। इस तरीके से गांठ भी ठीक हो जाती है।
अब बात करते है स्तन के कैंसर के बारे में -- ब्रैस्ट में कैंसर होने के बहुत से कारण है -जैसे-जेनेटिक की वजह से हो सकता है या अगर परिवार में माता-पिता को है ,कई बार कुछ दुसरो कारणों की वजह से भी हो सकता है - जैसे - 30 साल के बाद कोई महिला बच्चा पैदा करती है या बच्चे को ब्रैस्ट फीडिंग न देना या कम देना ,कम बच्चे पैदा करना इन कारणों से भी ब्रैस्ट कैंसर होता है।
इसके अलावा अगर कोई महिला स्मोकिंग या ड्रिंकिंग करती है तो या HRT मतलब जब कोई महिला mc जाने के बाद हॉर्मोन्स रिप्लेसमेन्ट थेरेपी लेती है तो भी ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा होता है। कभी कभी किसी महिला को mc आने जाने में बहुत सी प्रोबलम होती है। लेट से आना या लेट से mc जाना इस से भी कैंसर होने का खतरा होता है।
4 . हड्डियों का कैंसर (bone cancer) - हड्डियों में होने वाला एक कैंसर है जो बहुत ही कम होता है अगर एक नजर से देखा जाए तो एक लाख में लोगो में से बस 5 से 10 लोगो को ही बोन कैंसर होता है। और ये कैंसर आपके लब्बी हड्डियों में होता है जैसे की - पैरो की हड्डिया, हाथो की हड्डिया या आपकी रीढ़ की हड्डी में। बोन कैंसर किसी भी उम्र के लोगो को हो सकता है। बच्चे हो या बुजुर्ग,
अगर कैंसर कही और से आया हो और बोन में हो गया हो जैसे - फेफड़े का कैंसर या गले का कैंसर , या और कही का भी कैंसर हो ये वहा से होता हुवा आपके शरीर के किसी भी बोन में जा कर हो जाए तो ये बोन कैंसर नहीं माना जाता है। बोन कैंसर में अगर कैंसर की सुरुवात ही बोन से होती है तो इसे बोन कैंसर कहा जाता है,
इसके इलाज में कॉमन ट्रीटमेंट है ऑपरेशन करवाना ,इसमें हड्डी में जिस भी जगह पर कैंसर होता है सर्जरी की मदद से उस हिस्से को काट कर निकल दिया जाता है। कई केस में कीमोथेरेपी भी किया जाता है इससे भी कुछ प्रतिशत कैंसर पर काबू किया जा सकता है।
तीन प्रकार के बोन कैंसर होते है
(1) कोंड्रो साइकोमा
(2) ऐविंग साइकोमा
(3) ऑस्टिवो साइकोमा
अगर आपको बोन कैंसर होता है तो वहा की हड्डी कमजोर हो जायेगी या वहा पर हमेशा दर्द रहेगा और अगर जरा सी भी उस हड्डी में ज़ोर पड़ा या चोट लगा तो वो हड्डी बहुत आसानी से टूट जाएगी या (फ़ैक्चर) हो सकता है।
अगर कैंसर कही और से आया हो और बोन में हो गया हो जैसे - फेफड़े का कैंसर या गले का कैंसर , या और कही का भी कैंसर हो ये वहा से होता हुवा आपके शरीर के किसी भी बोन में जा कर हो जाए तो ये बोन कैंसर नहीं माना जाता है। बोन कैंसर में अगर कैंसर की सुरुवात ही बोन से होती है तो इसे बोन कैंसर कहा जाता है,
इसके इलाज में कॉमन ट्रीटमेंट है ऑपरेशन करवाना ,इसमें हड्डी में जिस भी जगह पर कैंसर होता है सर्जरी की मदद से उस हिस्से को काट कर निकल दिया जाता है। कई केस में कीमोथेरेपी भी किया जाता है इससे भी कुछ प्रतिशत कैंसर पर काबू किया जा सकता है।
तीन प्रकार के बोन कैंसर होते है
(1) कोंड्रो साइकोमा
(2) ऐविंग साइकोमा
(3) ऑस्टिवो साइकोमा
अगर आपको बोन कैंसर होता है तो वहा की हड्डी कमजोर हो जायेगी या वहा पर हमेशा दर्द रहेगा और अगर जरा सी भी उस हड्डी में ज़ोर पड़ा या चोट लगा तो वो हड्डी बहुत आसानी से टूट जाएगी या (फ़ैक्चर) हो सकता है।
5 . त्वचा का कैंसर (skin cancer) -
image credit by - ade4life image name - skin cancer
त्वचा का कैंसर एक ऐसा कैंसर होता है जिससे आपको सुरुवात में कभी पता भी नहीं चलता की आपको त्वचा का कैंसर हो गया है। ये बहुत धीरे धीरे फैलता है और आपको कोई दर्द भी नहीं होता, अगर आपके शरीर में कोई पुराना मस्सा या कोई दाग़ है और वो धीरे धीरे बड़ा हो रहा हो और उसका आकर बदल रहा हो तो ही आपको कैंसर के बारे में पता चलेगा।
त्वचा के कैंसर बहुत देर से पता चलता है इससे आपके काम काज पर प्रभाव नहीं पड़ता और ये कैंसर अन्दर ही अन्दर बढ़ता चला जाता है।
ध्यान दे - अगर आपको लग रहा हो की आपका कोई मस्सा या कोई पुराना दाग़ है और उसका रूप (size) बढ़ रहा है तो तुरन्त आपने डॉक्टर से संपर्क करे ये त्वचा का कैंसर हो सकता है।
image credit by - ade4life image name - skin cancer
त्वचा का कैंसर एक ऐसा कैंसर होता है जिससे आपको सुरुवात में कभी पता भी नहीं चलता की आपको त्वचा का कैंसर हो गया है। ये बहुत धीरे धीरे फैलता है और आपको कोई दर्द भी नहीं होता, अगर आपके शरीर में कोई पुराना मस्सा या कोई दाग़ है और वो धीरे धीरे बड़ा हो रहा हो और उसका आकर बदल रहा हो तो ही आपको कैंसर के बारे में पता चलेगा।
त्वचा के कैंसर बहुत देर से पता चलता है इससे आपके काम काज पर प्रभाव नहीं पड़ता और ये कैंसर अन्दर ही अन्दर बढ़ता चला जाता है।
ध्यान दे - अगर आपको लग रहा हो की आपका कोई मस्सा या कोई पुराना दाग़ है और उसका रूप (size) बढ़ रहा है तो तुरन्त आपने डॉक्टर से संपर्क करे ये त्वचा का कैंसर हो सकता है।
6 . पेट का कैंसर (stomach cancer) -पेट के कैंसर की सुरुवात बहुत छोटे रूप में होती है जब ये छोटा होता है तो इसका पता नहीं चलता है आपको ज़्यादा दर्द भी नहीं होता न ही कोई और परेशानी होती है पर धीरे धीरे जब स्टमक कैंसर बढ़ता है तभी इसका पता चलता है दर्द होता है या पेट में या सीने में बहुत जलन होता है तेज़ी से वजन भी घटता है, भूख नहीं लगती, और पेट का कैंसर शरीर के और भी कई हिस्सों में फैल सकता है।
स्टमक कैंसर अधिक उम्र के लोगो को ज़्यादा होता है जो 50 उम्र तक होते है आज कल के लाइफ स्टाइल में गलत चीज़ो का खान पान ज़्यादा किया जाता है हमेशा मसालों वाला खाना अपनी डाइट सही न रखना ड्रिंक करना या स्मोकिंग करने से पेट का कैंसर हो सकता है। कई बार जेनेटिक कारणों से भी हो जाता है
पेट के कैंसर के लक्षण -
पेट में कैंसर होने के बाद आपको कई चीज़ो से पता चलेगा जैसे - जब आप खाना खाते है तो आपको भूख कम लगती है क्युकी पेट में जो खाना रुकने की जगह होती है उस जगह में कैंसर अपना क्षेत्र बना लेता है और आपके भोजन के लिए ही जगह नहीं बचता। ऐसे में आपको उलटी भी लग सकती है और अगर कैंसर की वजह से इन्फ़ेक्सन होता है तो उलटी के साथ खून भी आ सकता है। और पेट में काफी दर्द भी होगा।
स्टमक कैंसर अधिक उम्र के लोगो को ज़्यादा होता है जो 50 उम्र तक होते है आज कल के लाइफ स्टाइल में गलत चीज़ो का खान पान ज़्यादा किया जाता है हमेशा मसालों वाला खाना अपनी डाइट सही न रखना ड्रिंक करना या स्मोकिंग करने से पेट का कैंसर हो सकता है। कई बार जेनेटिक कारणों से भी हो जाता है
पेट के कैंसर के लक्षण -
पेट में कैंसर होने के बाद आपको कई चीज़ो से पता चलेगा जैसे - जब आप खाना खाते है तो आपको भूख कम लगती है क्युकी पेट में जो खाना रुकने की जगह होती है उस जगह में कैंसर अपना क्षेत्र बना लेता है और आपके भोजन के लिए ही जगह नहीं बचता। ऐसे में आपको उलटी भी लग सकती है और अगर कैंसर की वजह से इन्फ़ेक्सन होता है तो उलटी के साथ खून भी आ सकता है। और पेट में काफी दर्द भी होगा।
इसकी जाँच इंड्रोस्कोपी से किया जाता है जो की बहुत ही आसानी से पता लगाया जा सकता है की आपको stomach canser है या नहीं।
7 . मुँह का कैंसर (mouth cancer) - मुँह का कैंसर मुँह में कहीं भी हो सकता है जैसे - जीभ में होता है ये जीभ के ऊपर या निचे भी हो सकता है या जबड़ों में हो सकता है अगर कैंसर जबड़ों में हो तो ये मुँह से बहार की तरफ भी हो जाता है या फैल जाता है। और होंठो में हो सकता है और मसूड़ों में भी हो सकता है सबसे ज़्यादा भारत देश में ही मुँह के कैंसर के केस देखे जाते है ,
भारत में बहुत अधिक तम्बाखू,गुटखा,पान मसाला व स्मोकिंग करते है किसकी वजह से बहुत से लोगो को मुँह का कैंसर होता है सरकार ने पहले ही इस कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुवे कई गुटखा और तम्बाखू कंपनियों को बंद करने का आदेश दे चुकी है पर आज भी कई कम्पनियाँ नाम बदल कर पान मसलो के रूप में बेच रही है जिसमे तम्बाखू मिला होता है ,पर सबसे बड़ी बात तो ये है की लोगो को भी सारी जानकारी होती है की तम्बाखू से कैंसर होता है पर तब भी लोगो धड़ल्ले से अपनी मौत का सामान खाते है।
और भी कई कारणों से मुँह का कैंसर होता है जैसे - सुपाड़ी,या मुँह में बार बार इन्फ़ेक्सन हो रहा हो तो भी मुँह का कैंसर हो सकता है इस लिए हमेशा आपने मुँह साफ रखें दो से तीन बार ब्रश करे।
मुँह के कैंसर के लक्षण - अगर मुँह में कोई छोटा सा छाला हो और कुछ ही दिनों में ये पुरे मुँह में फैल जाये और एक महीने तक ठीक न हो तो ये भी मुँह का कैंसर हो सकता है ,या मुँह में सूजन बनने लगे,या खून आये, या कुछ खाना खाने में परेशानी हो रही हो तो भी मुँह का कैंसर माना जाता है। इसमें मरीज का मुँह कम खुलता है। एक और भी वजह है जिसमे जीभ में सफ़ेद धब्बे पड़ जाते है पर सुरुवात में ये कैंसर नहीं होता है पर जब ये ही मुँह में फैल जाये तो कैंसर हो सकता है।
मुँह के कैंसर का इलाज - अगर मुँह पर कही भी छोटी गाँठ या छाला है तो उसे ऑपरेशन से निकला जा सकता है। पर कई बार कैंसर बहुत बड़ा हो जाये या कही ऐसी जगह पर हो जहाँ पर सर्जरी नहीं किया जा सकता तो ऐसे में रेडिएशन की सहायता से जलाया जाता है। कई बार कीमोथेरेपी भी की जाती है। जब कैंसर 3th स्टेज में हो जाता है तो बहुत प्रॉब्लम होती है मरीज को तब कीमोथेरेपी किया जाता है।
भारत में बहुत अधिक तम्बाखू,गुटखा,पान मसाला व स्मोकिंग करते है किसकी वजह से बहुत से लोगो को मुँह का कैंसर होता है सरकार ने पहले ही इस कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुवे कई गुटखा और तम्बाखू कंपनियों को बंद करने का आदेश दे चुकी है पर आज भी कई कम्पनियाँ नाम बदल कर पान मसलो के रूप में बेच रही है जिसमे तम्बाखू मिला होता है ,पर सबसे बड़ी बात तो ये है की लोगो को भी सारी जानकारी होती है की तम्बाखू से कैंसर होता है पर तब भी लोगो धड़ल्ले से अपनी मौत का सामान खाते है।
और भी कई कारणों से मुँह का कैंसर होता है जैसे - सुपाड़ी,या मुँह में बार बार इन्फ़ेक्सन हो रहा हो तो भी मुँह का कैंसर हो सकता है इस लिए हमेशा आपने मुँह साफ रखें दो से तीन बार ब्रश करे।
मुँह के कैंसर के लक्षण - अगर मुँह में कोई छोटा सा छाला हो और कुछ ही दिनों में ये पुरे मुँह में फैल जाये और एक महीने तक ठीक न हो तो ये भी मुँह का कैंसर हो सकता है ,या मुँह में सूजन बनने लगे,या खून आये, या कुछ खाना खाने में परेशानी हो रही हो तो भी मुँह का कैंसर माना जाता है। इसमें मरीज का मुँह कम खुलता है। एक और भी वजह है जिसमे जीभ में सफ़ेद धब्बे पड़ जाते है पर सुरुवात में ये कैंसर नहीं होता है पर जब ये ही मुँह में फैल जाये तो कैंसर हो सकता है।
मुँह के कैंसर का इलाज - अगर मुँह पर कही भी छोटी गाँठ या छाला है तो उसे ऑपरेशन से निकला जा सकता है। पर कई बार कैंसर बहुत बड़ा हो जाये या कही ऐसी जगह पर हो जहाँ पर सर्जरी नहीं किया जा सकता तो ऐसे में रेडिएशन की सहायता से जलाया जाता है। कई बार कीमोथेरेपी भी की जाती है। जब कैंसर 3th स्टेज में हो जाता है तो बहुत प्रॉब्लम होती है मरीज को तब कीमोथेरेपी किया जाता है।
8 . प्रोस्टेट कैंसर (prostate cancer) -प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला एक आम कैंसर है जो अधिक बढ़ता ही जा रहा है प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों के पेशाब की नली में होता है. मतलब जहा पर पेशाब जमा होता है उसके निचे एक नली होती है उसी नली के ऊपर प्रोस्टेट सिस्टम होता है। पर ये बहुत ही जरुरी होता है पुरुषो में क्युकी ये ही प्रोस्टेट है जो पेशाब को रोके रखने में मदद करता है इसका एक और भी काम होता है- जब स्पर्म बनता है तो प्रोस्टेट ही स्पर्म में सफ़ेद रंग का तरल बनता है जो स्पर्म को आगे बढ़ने में मदद करता है।
प्रोस्टेट का आकर किसी अखरोट की तरह होता है पर कभी कभी इस में सूजन भी हो जाती है जिसकी वजह से पेशाब की नली में दबाओ पड़ता है जिसके कारण पेशाब एक बार में नहीं होता है और पेशाब रुक रुक कर आता है और दर्द भी होता है. इसी सूजन की वजह से बाद में इसमें इन्फ़ेक्सन हो जाता है जो कैंसर का कारण बनता है। इसमें पेशाब में खून भी आ सकता है, (प्रोस्टेट कैंसर 50 से ज़्यादा उम्र वाले पुरुषो को होता है)
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण - पेशाब करने में परेशानी होना , पेशाब बार बार आना ,पेशाब का रंग लाल होना या खून आना , पेशाब करते समय दर्द होना। ये प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण होते है।
कुछ कारण होते है प्रोस्टेट कैंसर होने के जैसे - अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना, तम्बाखू या सिगरेट,गुटखा खाने से, अगर किसी को परिवार में और किसी को कैंसर है तो या आपको शरीर में कही और कैंसर है तो प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है , गलत खान पान की वजह से ,और अगर आपका घर या काम करने वाली जगह ऐसी है जहा रेडिएशन की मात्रा ज़्यादा है तो भी आपको प्रोस्टेट कैंसर का खतरा हो सकता है।
इसका इलाज हो सकता है अगर सही समय में किया जाए तो - सर्जरी या कीमोथेरेपी
अगर प्रोस्टेट सर्जरी किया जाये तो इसके कुछ नुकसान भी हो सकते है जैसे -1 पेशाब को रोके रखने में परेशानी होना ऐसे में पेशाब रुक नहीं सकता ( रिलीज हो जाता है ) 2 नपुंसकता हो सकता है। प्रोस्टेट कैंसर में इनमे से कोई भी आपको परेशानी आती है तो आपने डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करे। सही समय में इलाज न करने पर जान जाने का खतरा होता है।
9 . मस्तिष्क कैंसर (brain cancer) - ब्रेन ट्यूमर एक खतरनाक कैंसर है जो हमारे मस्तिष्क में होता है जो बहुत दर्द नाक होता है ट्यूमर छोटा या बहुत बड़ा हो सकता है ट्यूमर भी एक प्रकार का सेल्स ही होता है जो अनावश्यक ही बढ़ती चली जाती है।
सर दर्द कई प्रकार के होते है जैसे - बहुत देर तक टीवी या कोई अन्य चीज़ को देखना जिससे रौशनी निलती हो , या बहुत देर तक कुछ पढ़ने से जिससे आँखों को बहुत छोटे छोटे अक्षर को बारीकी से देखना और ध्यान लगाना पड़ता है जिससे मस्तिष्क में असर पड़ता है , या बहुत ज़्यादा किसी चीज़ के बारे में सोचने या टेंशन लेने से आदि। इन सबसे नार्मल सर का दर्द होता है जो जल्द ही ठीक भी हो जाता है।
पर ब्रेन ट्यूमर में कुछ अलग सा ही होता है इसमें सुबह उतने पर चक्कर आना, तेज़ सर में दर्द का उठना, या उलटी का आना हो सकता है अगर ऐसा होता है तो ब्रेन ट्यूमर हो या कैंसर हो सकता है। जब मरीज के ब्रेन में ट्यूमर होता है तो मरीज को एक साइड से शरीर काम करना कभी कभी बंद भी कर देता है या एक कान से सुनना और एक आँख से दिखना भी बंद हो सकता है
सर दर्द कई प्रकार के होते है जैसे - बहुत देर तक टीवी या कोई अन्य चीज़ को देखना जिससे रौशनी निलती हो , या बहुत देर तक कुछ पढ़ने से जिससे आँखों को बहुत छोटे छोटे अक्षर को बारीकी से देखना और ध्यान लगाना पड़ता है जिससे मस्तिष्क में असर पड़ता है , या बहुत ज़्यादा किसी चीज़ के बारे में सोचने या टेंशन लेने से आदि। इन सबसे नार्मल सर का दर्द होता है जो जल्द ही ठीक भी हो जाता है।
पर ब्रेन ट्यूमर में कुछ अलग सा ही होता है इसमें सुबह उतने पर चक्कर आना, तेज़ सर में दर्द का उठना, या उलटी का आना हो सकता है अगर ऐसा होता है तो ब्रेन ट्यूमर हो या कैंसर हो सकता है। जब मरीज के ब्रेन में ट्यूमर होता है तो मरीज को एक साइड से शरीर काम करना कभी कभी बंद भी कर देता है या एक कान से सुनना और एक आँख से दिखना भी बंद हो सकता है
इसकी जाँच में सिटीस्केन,एम आर आई से किया जाता है ब्रेन कैंसर में मरीज का ऑपरेशन होता है तभी मरीज की जान बचाई जा सकती है। जब सर्जरी की जाती है तो ब्रेन से ट्यूमर को निकाल दिया जाता है। कई केस में मरीज की तत्काल मृत्यु भी हो सकती है। इसके आलावा रेडिओ थेरेपी और कीमोथेरेपी से भी इलाज किया जाता है।
ध्यान दे - अगर आपको कोई भी परेशानी लगती है या सर में बार बार दर्द की शिकायत होती है तो देर न करे और तुरंत ही किसी अच्छे डॉक्टर से चेकअप करवाए
ध्यान दे - अगर आपको कोई भी परेशानी लगती है या सर में बार बार दर्द की शिकायत होती है तो देर न करे और तुरंत ही किसी अच्छे डॉक्टर से चेकअप करवाए
10 . फेफड़ों का कैंसर (lungs cancer) -
फेफड़ों का कैंसर भी एक आम कैंसर बन चूका आज कल के लाइफ स्टाइल के रहेन सहन में काफी बदलाव आ चुका है जिसे देखो कुछ भी खाता और पीता है। जो हमारे शरीर के लिए बना ही नहीं है सब उसे ही अपने शरीर में डालते रहते है। जैसे - अधिक मसलों वाला खाना कई प्रकार के स्नेक्स ,सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल,सिगरेट पान मसाला,तम्बाखू,और कई तरह के नशा करने के समाग्री। इसके आलावा प्रदूर्षण भी काफी हद तक ज़िम्मेदार है फेफड़ों का कैंसर होने के लिए।
दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसा लगा हमे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर बताये हम आपके लिए ऐसे ही और भी अच्छी अच्छी जानकारी लाते रहेंगे अगर आपने हमारे ब्लॉग को फॉलो नहीं किया है तो अभी कर लीजिये ताकि जब भी हमारी कोई भी पोस्ट अपलोड हो तो आपके पास नोटिफिकेशन आ जाये।
इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद।
फेफड़ों का कैंसर भी एक आम कैंसर बन चूका आज कल के लाइफ स्टाइल के रहेन सहन में काफी बदलाव आ चुका है जिसे देखो कुछ भी खाता और पीता है। जो हमारे शरीर के लिए बना ही नहीं है सब उसे ही अपने शरीर में डालते रहते है। जैसे - अधिक मसलों वाला खाना कई प्रकार के स्नेक्स ,सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल,सिगरेट पान मसाला,तम्बाखू,और कई तरह के नशा करने के समाग्री। इसके आलावा प्रदूर्षण भी काफी हद तक ज़िम्मेदार है फेफड़ों का कैंसर होने के लिए।
फेफड़ों के कैंसर में फेफड़ों में गांठ बन जाती है जो बहुत तेज़ी से फैलती है ,इस कैंसर में मरीज को खांसी आना या खांसी के साथ खून का आना भी होता है सीने में तेज़ दर्द की शिकायत भी होती है। जो लोग स्मोकिंग करते है उन्हें ज़्यादा खांसी आती है या आवाज भारी हो जाती है ज़रा सा काम करने पर भी साँस फूलना या थक जाना ऐसी कुछ तकलीफ आ सकती है। अगर आपको सीने में दर्द हो और बार बार होता रहता हो तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाए।
किसी भी कैंसर में वजन घटता ही है ऐसे में आपको अच्छा हैल्थी डाइट खाना चाहिए
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इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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