ASHWAGANDHA आयुर्वेद में अश्वगन्धा का महत्वपूर्ण स्थान

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ashwagandha

अश्वगन्धा को अश्वगन्धा क्यों कहा जाता है ?  -- इसे अश्वगन्धा इसलिए कहा जाता है क्युकी अगर इसके पौधे के किसी भी भाग को तोड़ोगे तो इसमें से किसी घोड़े की स्मेल आयेगी  और  दूसरी बात की अश्वगन्धा का साइंटिफिक नाम  ( विथानिआ सोम्निफ़ेरा  Withania  Somnifera ) होता है।  इसका अर्थ ये है की -  Withania  जो की एक पेड़ो की प्रजाति से लिया गया है।  और Somnifera का मतलब है की कोई भी ऐसी चीज़ जो आपको सुला देती है ,या कोई ऐसी चीज़ जो आपको रिलेक्स कर देती है। 


 अश्वगन्धा को आयुर्वेद में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसे एक ऐसा चमत्कारी पौधा माना गया है   जो कई तरह की बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने में बहुत कारगर है।  आइये जानते है की आयुर्वेद के अनुसार   अश्वगन्धा में पाए जाने वाले खास गुणों के बारे में। 

अश्वगन्धा एक चमत्कारी हरभ है या हम कह सकते है की सबसे जादूवी जड़ी-बूटी ,इसे आयुर्वेद में बहुत ही अहम् स्थान प्राप्तः है  इसकी जड़ो और पतियों से दवाएँ बनाई जाती है।  

     तनाव चिंता थकावट नींद की कमी जैसी कई सेहद से जुडी समस्याओ का इलाज अश्वगन्धा से किया जा सकता   है।  यह स्ट्रेस हार्मोन यानि की कैटिसॉल के स्तर को कम करने में सहायता प्रदान करता है।  अगर कोई इंसान   डिप्रेशन से पीड़ित हो तो इसका इस्लाज भी अश्वगन्धा से संभव है।

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    इसमें कई एंटीइन्फॉमेंट्री और एंटीबैक्टीरियल गुण होते है। जिस वजह से यह किसी भी इन्फ़ेक्सन से बचाव करने में मदद  करता है।   साथ ही हमारे ह्रदय को साफ रखने में बहुत मददगार होता है। 

    अश्वगन्धा कैंसर के मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद है ,एक रीसर्च के अनुसार ये कीमो थैरेपी के प्रभाव को कम करने में बहुत सहायक होता है। माना जाता है की इसकी जड़ो को पीस कर किसी भी घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।  साथ ही ये रोग प्रतिरोग क्षमता को भी बहुत अच्छे से मजबूत करता है। 

     ये भी माना जाता है की ,त्वचा के रोगो को दूर करने में  जैसे - झुर्रियों को कम करने और चर्म रोग को भी जल्दी ठीक करने में ये सहायक होता है। अगर आप पहले से किसी प्रकार की दवा का सेवन करते है तो इसका सेवन ना करे या आप गर्भवती हो तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए। बेहतर होगा की आप किसी डॉक्टर की सलाह ले कर इसका सेवन करे।   

    अश्वगन्धा की पेहचान कैसे करे ?

    अश्वगन्धा के झाड़ी वैसे तो वर्षा ऋतु में बहुत मात्रा में उग जाते है। पर कई स्थानों पर साल भर पाए जाती है। इसके पौधे 2  से 4 फिट के होते है।  और अनेक शाखाओ वाले होते है। अश्वगन्धा के शाखाये पतली होती है और उन पर रोये भी होते है।  जिसे छू के आप महसूस भी कर सकते है। इसके पत्ते 2  एक साथ निकलते है। ,और पत्तो का दोनों तरफ का रंग एक जैसा ही होता है।

      पत्ते लम्बे,पतले और नोक वाले होते है। इसके फल छोटी बेरी या मटर के आकर के होते है जब फल कच्चे होते है तो वो हरे होते है  और पकने पर के लाल रंग का हो जाता है। कुछ कुछ रस बरी के फल की तरह ही दिखने में होते है। अश्वगन्धा की जड़े पतली और शंक के आकर के होते है निचे से मोटी और ऊपर से पतली। मूल ज़मीन के अंदर गहराई से जुडी होती है. मूल पर बहुत सारे अपमूल निकलने है. जो बारीक़ सूत जैसे दिखाई देते है। 

    जड़ो की त्वचा बहार से भूरी होती है। इसको अगर आप काट कर देखोगे तो इसके अंदर  का भाग सफ़ेद दिखाई देता है। और जब आप इस के जड़ो को सूंधते है तो इससे बहुत तीखी गंध आती है।  तभी इसको यह नाम मिला है अश्वगन्धा। अश्वगन्धा की जड़ो को सावधानी से निकलते है। ताकि जड़े कटने ना पाए इनको निकलने के लिए थोड़ा गहराई तक खोद कर निकाला जाता है।  

    फिर जड़ो को कटाने के बाद पानी से धोया जाता है।  और फिर धुप में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है।  अगर आपको एक अच्छे अश्वगन्धा के जड़ो की पेहचान करनी है तो जड़े जीतनी लम्बी सफ़ेद और चमकदार होगा उतना ही ये अच्छा होगा , - अश्वगन्धा सुखी जलवायु,दोमट मिटटी वाले स्थानों पर अधिक मात्रा में पाया जाता है।  ये 12 महीनो हरे भरे होते है। राजिस्थान के नागौर क्षेत्र में भी इसका बहुत अधिक खेती की जाती है।  इसे बाजार में नागोरी अश्वगंध कहते है। इसके अलावा गुजरात पंजाब हीमाचल प्रदेश में भी इसकी खेती किया जाता है। 

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    अनुसन्धान बताते है की इसके तने में कैल्सियम और फ़ास्फ़ोरस बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।  और इसके फलो में प्रोटिन को पचने वाला इन्जाम पाया जाता है।  औषिधि के रूप में अगर माना जाए जो सबसे ज़्यादा इसके जड़ो का ही इस्तेमाल किया जाता है।  शोद में ये पाया गया है की इनकी जड़ो के (100gm) चूर्ण में 0. 709 मि.ग्रा। लेाहे की मात्रा पाई जाती है।  इसलिए अश्वगन्धा एनीमिया में बहुत फायदेमंद  होता है।  खून में हिमोग्लोविन में मात्रा को बढ़ता है ,अश्वगन्धा के जड़ो के चूर्ण का सेवन करने से आपकी लिवर और पाचन और पेट से जुडी कई बीमारियों को आपके शरीर से दूर करता है।  

    अश्वगन्धा को एक बहुत अच्छा टॉनिक माना जाता है। ये हमारे नर्वस सिस्टम के लिए बहुत उपयोगी है।  कहा गया है की  अश्वगन्धा से सूजन दूर करने वाला कड़वा मानसिक अवसा धारण करने वाला बलकारक रसायन है।  ये गर्म और पोषक तत्वों से भरपुर है।

       ज़रूरी बाते जो आपको इसका सेवन करने पर मजबुर कर देगा ---

    (1) -  अश्वगन्धा को आयुर्वेद में मेध्य रसायन माना गया है। जो ना केवल आपके स्मरणशक्ति को बढ़ता है साथ ही साथ आपका कॉन्सेंट्रेशन को भी बढ़ता है। 

    (2) -  अगर आपको दिमाग से रेलेंटेड कोई भी  परेशानी है तो इसके सेवन से ये सारी परेशानी नहीं होगी आप कोई बिजनस करते है है या आप पढ़ते है या कोई जॉब करते है।  ऐसे में आपको बहुत कोसेंट्रेशन की जरुरत होती है ,ऐसे में आपको अश्वगन्धा ज़रूर लेना चाहिए। 

    (3) - अश्वगन्धा से सेवन से आपको टेंसन नहीं होता है ये आपको काफी रिलीफ करता है।  और अगर आपको नींद ना आने की बीमारी है तो यानि की अनिद्रा की शिकायत है। वो दूर होती है।  

    (4) - अश्वगन्धा केलोस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड बहुत कम कर देती है।  

    (5) - अश्वगन्धा के सेवन से आपकी इम्मुनिटी को काफी बढ़ा देता है कोई भी नार्मल इन्फ़ेक्सन आपको कभी नहीं होता।  

    (6) -   अश्वगन्धा को एक मर्दो का टॉनिक कहा जाता है। वो इसलिए क्युकी इसके सेवन से आपके शरीर में नैचुरली टेस्टोस्टेरोन बनाना सुरु कर देता है। ये एक ऐसा हॉर्मोन होता है जो एक लड़के को एक मर्द बनता है।  जैसे - 1 .  शरीर पर मश्पेशया का अधिक बनना 2 . हड्डियों की मजबूती बढ़ना और हड्डियों की चौड़ाई ज़्यादा बनना  3 . आवाज का गहरा और भारी होना।  4 . बच्चे पैदा करने की काबिलियत होना।  अश्वगन्धा जो है ये चारो चीज़ो को बहुत बढ़ा देता है।   
    अश्वगन्धा आपके  स्पर्म की संख्या को बहुत अधिक बढ़ा देता है  



    SPERM QUALITY
    SPERM QUANTITY
    SPERM MOTILITY
     बहुत बढ़ा देता है     अश्वगन्धा के सेवन से आपको कोई नुकसान नहीं होता।  

     अब जानते है की अश्वगन्धा का सेवन कैसे करना है और इसे कितनी मात्रा में लेना है।  
    -- आपको अश्वगन्धा मसालो की दुकान पर बड़ी ही आसानी से मिल जाएगी वह से आप अश्वगन्धा की जड़ो को ले कर आइये फिर आपको इस जड़ को मिक्ससी में बहुत ही बारीक़ पीसना है की ये एक पाउडर की तरह हो जाये।  फिर 5gm अश्वगन्धा 10gm गाये के शुद्ध घी में मिलाइये और इसमें 20gm शहद या मिश्री डालिये और इसको आधे किलो दूध के साथ गरम करे और जब ये पूरा अच्छे से उबल जाये फिर इसे पि जाये, आपको ये सुबह सुबह खली पेट लेना है। इसके बाद आपको नाश्ता नहीं करना है आपको सीधे दोपहर का खाना ही खाना है।   

     अगर आपको सही परिणाम चाहिए तो आपको अश्वगन्धा का सेवन 1 साल तक ऐसे ही करना है। रोज़  तभी आपको लाभ मिलेगा।  


    तो दोस्तों आशा करता हूँ की आज की ये जानकारी आपको अच्छी लगी होगी ,और अगर अच्छी लगी हो तो आप मुझे फॉलो भी कर सकते है जिससे आपको ऐसे ही अच्छी - अच्छी जानकारियाँ मिलती रहेगी। तब तक के लिए अच्छा खाये और अच्छी जीवन जिये।  धन्यवाद। 


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