ऊपरी श्वसन मार्ग की झिल्ली के उत्तेजन से भी खांसी आती है। जो की इतनी उपयोगी नहीं है क्योंकि खांसी के साथ बहार निकलने के लिए कोई पदार्थ या श्रावण नहीं होता है एसे खांसी से रोगी को पूरी रात नींद नहीं आती है। और बेचैनी भी होती है। तब ऐसे समय में खांसी की दवाइयाँ ( cough couppressant) दिया जाता है।
गीली खांसी वो होती है जो खांसी के साथ बलगम भी बहार आ जाता है। तथा बलगम की जाँच के लिए रोगी को बलगम को एकत्रित कर कागज का ढक्कनदार छोटा पात्र दिया जाता है। कागज का पत्र इसलिए दिया जाता है क्योकि ये उपयोग के बाद आसानी से जलाया जा सके। श्वसनिक बीमारी के बारे में जानने के लिए बलगम की जाँच होती है खांसी के साथ आये बलगम की मात्रा को भी नोट करना चाहिए।
cough and sputum जब संक्रमण कम होता है तो बलगम पतला व् साफ चिपचिपा होता है। और जब संक्रमण बढ़ जाता है तो बलगम ज़्यादा गाढ़ा पिपयुत्त बन जाता है।
और गाढ़ा बलगम से बदबू भी आती है। ब्रोन्किएक्टेसिस व् फुफ्फसीय फोड़े के समय यह छोटी - छोटी रूप में होता है।
- इसी आधार पर फिज़िशियन बीमारी का आकलन कर के पता लगा सकते है।
खाँसी के साथ खून का आना - खाँसी के साथ खून आने की स्तिथि को 'रक्तयुक्त खाँसी ' (Haemoptysis) कहते है। और ये ज़्यादा तर फुप्फुसीय रोग व् श्वसन नलिका के कैंसर मामलों के क्षेत्र की रक्तवाहिकाओं के फटने से होता है। आम तोर पर खून नहीं आता है पर ज़्यादा ज़ोर लगा कर खांसने बलगम पर खून की धारिया आती है।
नोट - दो प्रकार से बलगम की जाँच करने के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। (1) बैक्टीरिया की जाँच और संवद्धर्न (culture) के लिए ताकि संक्रमण को जाना जा सके और आवश्यकता होने पर एन्टीबायोटिक की दवाई दिया जा सके। (2) श्वास नलिका के कैंसर के लिए कोशिकाओं (malignat cells) जानकरी के लिए माइक्रोस्कोप के जरिये बलगम की परीक्षण किया जाता है।
